और देस के बसत ही, अधिक भजन जो होय।
इहि सम नहिं पूजत तऊ, वृन्दावन रहै सोय।।52।।
अन्य देशों में निवास करते हुए चाहे विशाल भजन होता हो परन्तु
वह वृंदावन में सोते रहने के समान भी नहीं है।
आज के विचार 1 https://www.youtube.com/@brajrasmadira ( चलहुँ चलहुँ चलिये निज देश....) !! रसोपासना - भाग 1 !! ***************************...