और देस के बसत ही, अधिक भजन जो होय।
इहि सम नहिं पूजत तऊ, वृन्दावन रहै सोय।।52।।
अन्य देशों में निवास करते हुए चाहे विशाल भजन होता हो परन्तु
वह वृंदावन में सोते रहने के समान भी नहीं है।
घनश्याम और श्याम घन राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा..... सावन मास की लुभावनी रात। अभी मध्य रात्रि में पर्याप्त देर है । नि...