Tuesday, June 2, 2020

श्री राधा सुधा निधि

और देस के बसत ही, अधिक भजन जो होय।
इहि सम नहिं पूजत तऊ, वृन्दावन रहै सोय।।52।।
अन्य देशों में निवास करते हुए चाहे विशाल भजन होता हो परन्तु
वह वृंदावन में सोते रहने के समान भी नहीं है।

बृज रस मदिरा रसोपासन 1

आज  के  विचार 1 https://www.youtube.com/@brajrasmadira ( चलहुँ चलहुँ  चलिये निज देश....) !! रसोपासना - भाग 1 !!  ***************************...