Friday, February 28, 2025

विशाखा सखी

सखी बिसाखा अति ही प्यारी। कबहुँ न होत संगते न्यारी॥
बहु विधि रंग बसन जो भावै। हित सौं चुनि कै लै पहिरावै॥
ज्यौं छाया ऐसे संग रहही। हित की बात कुँवरि सौं कहही॥
दामिनि सत दुति देह की, अधिक प्रिया सों हेत।
तारा मंडल से बसन, पहिरे अति सुख देत॥
माधवी मालती कुञ्जरी, हरनी चपला नैन।
गंध रेखा सुभ आनना, सौरभी कहैं मृदु बैन॥[6]

घन श्याम मोहन और श्याम घन मोहन मानसिक रूप-लीला चिंतन 32

घनश्याम और श्याम घन राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा..... सावन मास की लुभावनी रात। अभी मध्य रात्रि में पर्याप्त देर है । नि...