Tuesday, July 2, 2024

बृज चौरासी कोस यात्रा नियम


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         ━❀꧁ हरे कृष्ण ꧂❀━ 
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        *"✧​ब्रज चौरासी-कोस यात्रा"✧​”*  
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वराह पुराण वर्णन है कि पृथ्वी पर 66 अरब तीर्थ हैं, और वे सभी चातुर्मास में ब्रज में आकर निवास करते हैं। यही वजह है कि व्रज यात्रा करने वाले इन दिनों यहाँ खिंचे चले आते हैं। हजारों-लाखों श्रद्धालु ब्रज के वनों में डेरा डाले रहते हैं। ब्रजभूमि की यह पौराणिक यात्रा हजारों साल पुरानी है।
          
चालीस दिन में पूरी होने वाली ब्रज चौरासी कोस यात्रा का उल्लेख वेद-पुराण व श्रुति ग्रंथ-संहिता में भी है। कृष्ण की बाल क्रीड़ाओं से ही नहीं, सतयुग में भक्त ध्रुव ने  यही आकर नारद जी से गुरू मंत्र लेकर अखंड तपस्या की व ब्रज परिक्रमा की थी।
          
त्रेतायुग में प्रभु राम के लघु भ्राता शत्रुघ्न ने मधु पुत्र लवणासुर को मार कर ब्रज परिक्रमा की थी। गली बारी स्थित शत्रुघ्न मंदिर यात्रा मार्ग में अति महत्व का माना जाता है। द्वापर युग में उद्धव जी ने गोपियों के साथ ब्रज परिक्रमा की। कलियुग में जैन और बौद्ध धर्मों के स्तूप बैल्य संघाराम आदि स्थलों के सांख्य इस परियात्रा की पुष्टि करते हैं। 14वीं शताब्दी में जैन धर्माचार्य जिन प्रभु शूरी की में ब्रज यात्रा का उल्लेख आता है। 15वीं शताब्दी में माध्व सम्प्रदाय के आचार्य मघवेंद्र पुरी महाराज की यात्रा का वर्णन है,  तो16वीं शताब्दी में महाप्रभु वल्लभाचार्य, गोस्वामी विट्ठलनाथ, चैतन्य मत केसरी चैतन्य महाप्रभु, रूप गोस्वामी, सनातन गोस्वामी, नारायण भट्ट, निम्बार्क संप्रदाय के चतुरानागा आदि ने ब्रज यात्रा की थी।

                 'परिक्रमा मार्ग'
          
इसी यात्रा में मथुरा की अंतरग्रही परिक्रमा भी शामिल है। मथुरा से यात्रा प्रारम्भ होकर भक्त ध्रुव की तपोस्थली मधुवन पहुँचती है और यहाँ से क्रमश: तालवन, कुमुदवन, शांतनु कुण्ड, सतोहा, बहुलावन, राधा-कृष्ण कुण्ड, गोवर्धन, पूछरी, चन्द्र सरोवर, जतीपुरा, दीर्घपुर डीग का लक्ष्मण मंदिर, साक्षी गोपाल मंदिर व जल महल, परमानन्द वन, चरन पहाड़ी,चरण कुण्ड, आदि बद्री, केदारनाथ, काम्यवन, गोपाल कुण्ड, राधा रानी मंदिर, बरसाना, नंदगांव, जावट, कोकिलावन, कोसी, शेरगढ, चीर घाट, नौहझील, श्री भद्रवन, भांडीरवन, बेलवन, राया वन, कबीर कुण्ड, भोयी कुण्ड, ग्राम पडरारी के वनखंडी में शिव मंदिर, दाऊजी, महावन, ब्रह्मांड घाट, नन्द जी मंदिर,  चिंताहरण महादेव, गोकुल, रावल, लोहवन।

                 'दर्शनीय स्थल'
          
ब्रज चौरासी कोस यात्रा में दर्शनीय स्थलों की भरमार है। पुराणों के अनुसार उनकी उपस्थिति अब कहीं-कहीं रह गयी है। प्राचीन उल्लेख के अनुसार इस यात्रा मार्ग में 12 वन, 24 उपवन, चार कुंज, चार निकुंज, चार वनखंडी, चार ओखर, चार पोखर, 365 कुण्ड, चार सरोवर, दस कूप, चार बावरी, चार तट, चार वटवृक्ष, पांच पहाड़, चार झूला, 33 स्थल रास लीला के तो हैं ही, इनके अलावा कृष्णकालीन अन्य स्थल भी हैं। चौरासी कोस यात्रा मार्ग मथुरा में ही नहीं, अलीगढ़, भरतपुर, गुड़गांव, फरीदाबाद की सीमा तक में पड़ता है, लेकिन इसका अस्सी फीसदी हिस्सा मथुरा में है।

                       'नियम'
          
36 नियमों का नित्य पालन। ब्रज यात्रा के अपने नियम हैं इसमें शामिल होने वालों के प्रतिदिन 36 नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है, इनमें प्रमुख हैं :- धरती पर सोना, नित्य स्नान, ब्रह्मचर्य पालन, जूते-चप्पल का त्याग, नित्य देव पूजा, कथा संकीर्तन, फलाहार, क्रोध, मिथ्या, लोभ, मोह व अन्य दुर्गुणों का त्याग प्रमुख है।

             'ब्रज के प्रमुख स्थल'
        
 मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, बरसाना, नन्दगाँव, महावन, गोकुल, बलदेव, काम्यवन, डीग, बनचारी, होङल।

                    'ब्रज के वन'
          
कोटवन, काम्यवन, कुमुदवन, कोकिलावन, खदिरवन, तालवन, बहुलावन, बिहारवन, बेलवन, भद्रवन, भांडीरवन, मधुवन, महावन, लौहजंघ वन।

             'मथुरा के दर्शनीय स्थल'
          
आदिवराह मन्दिर, कंकाली टीला, कंकाली देवी, कटरा केशवदेव मन्दिर, कालिन्दीश्वर महादेव, कृष्ण जन्मभूमि, गताश्रम मन्दिर, गर्तेश्वर महादेव, गोकर्णेश्वर महादेव, गोपी नाथ जी मन्दिर, गोवर्धननाथ जी, गोविन्द देव मंदिर, गौड़ीय मठ श्री केशव जी, चर्चिकादेवी मन्दिर, चामुण्डा देवी, जयगुरुदेव मन्दिर, दसभुजी गणेश जी, दाऊजी मन्दिर, दीर्घ विष्णु मन्दिर, द्वारिकाधीश मन्दिर, पद्मनाभजी का मन्दिर, पीपलेश्वर महादेव, बलदाऊ जी, बिरला मंदिर, बिहारी जी मन्दिर, भूतेश्वर महादेव, मथुरा देवी मन्दिर, मदन मोहन मंदिर, महाविद्या मन्दिर, यमुना के घाट, रंगेश्वर महादेव, राम मन्दिर, लक्ष्मीनारायण मन्दिर, वाटी कुंज मन्दिर, विजयगोविन्द मन्दिर, वीर भद्रेश्वर, श्रीनाथ जी भण्डार, श्रीनाथ जी, सती बुर्ज, पोतरा कुण्ड, शिव ताल, राजकीय संग्रहालय, जैन संग्रहालय।

                'यमुना के घाट'
          
अविमुक्ततीर्थ, असिकुण्ड तीर्थ, ऋषितीर्थ, कनखल तीर्थ, कोटि तीर्थ, गुह्म तीर्थ, घण्टाभरणक तीर्थ, चक्रतीर्थ, तिन्दुक तीर्थ, दशाश्वमेध तीर्थ, धारापतन तीर्थ, ध्रुव तीर्थ, नवतीर्थ, नागतीर्थ, प्रयाग तीर्थ, बटस्वामीतीर्थ, बोधि तीर्थ, ब्रह्मतीर्थ, मोक्ष तीर्थ, विघ्नराज तीर्थ, विश्राम घाट, वैकुण्ठ तीर्थ, संयमन तीर्थ, सरस्वती पतनतीर्थ, सूर्य तीर्थ, सोमतीर्थ।

            'वृन्दावन दर्शनीय स्थल'
          
अष्टसखी कुंज, इस्कॉन मन्दिर, गोदा बिहारी जी, गोपी नाथ जी, गोपेश्वर महादेव, गोविन्ददेव जी, गौरे लाल जी, जयपुर मन्दिर, जुगलकिशोर जी, बनखण्डी महादेव, बांकेबिहारी जी, ब्रह्मचारी ठाकुर बाड़ी, मदन मोहन जी, महारानी स्वर्णमयी मन्दिर, मीराबाई मन्दिर, मोहन बिहारी जी, रंग नाथ जी, रसिक बिहारी जी, राधादामोदर जी, राधारमण जी, राधावल्लभ जी, रूप सनातन गौड़ीय मठ, वर्द्धमान महाराज कुंज, शाहजी का मन्दिर, शाह बिहारी जी, श्री जी का मन्दिर, श्री टीकारी रानी की ठाकुर बाड़ी, श्री राधामाधव का मन्दिर, श्री राधाविनोद का मन्दिर, श्री लालाबाबू का मन्दिर, श्री श्यामसुन्दर का मन्दिर, श्री साक्षी गोपाल का मन्दिर, सवामन शालग्राम, निधिवन, गरुड़ गोविन्द, राधा स्नेह बिहारी।

                        'कुण्ड'
         
दावानल कुण्ड केवारिवन में, ब्रह्म कुण्ड, श्रीगजराज कुण्ड श्रीरंग जी मन्दिर में, श्रीगोविन्द कुण्ड वृन्दावन के पूर्व में श्रीरंग जी मन्दिर के निकट, ब्रह्म कुण्ड रंगजी मन्दिर के उत्तर में, श्रीललिता कुण्ड निकुंजवन (सेवा कुंज) में, श्रीविशाखा कुण्ड निधिवन में।

                   'यमुना के घाट'
          
इमलीतला घाट, केशी घाट, और चीर घाट।

                       'गोवर्धन'
          
कुसुम सरोवर, चकलेश्वर महादेव, जतीपुरा, दानघाटी, पूंछरी का लौठा, मानसी गंगा, राधाकुण्ड, श्याम कुण्ड, हरिदेव जी मन्दिर, उद्धव कुण्ड, ब्रह्म कुण्ड।

                       'काम्यवन'
         
फिसलनी शिला, भोजनथाली, व्योमासुर गुफा, गया कुण्ड, गोविन्द कुण्ड, घोषरानी कुण्ड, दोहनी कुण्ड, द्वारका कुण्ड, धर्म कुण्ड, नारद कुण्ड, मनोकामना कुण्ड, यशोदा कुण्ड, ललिता कुण्ड, लुकलुक कुण्ड, विमल कुण्ड, विहृल कुण्ड, सुरभी कुण्ड, सेतुबन्ध रामेश्वर ,लंका यशोदा कूप आदि।

                     'बरसाना'
          
राधा रानी मंदिर, गहवर वन, मान मन्दिर, मानगढ, दानगढ,भानगढ, विलासगढ, चित्रावन, नौबारी चौबारी, पीली पोखर, भानोखर, सांकरीखोर, ब्रजेश्वर महादेव।

                  'नन्दगाँव'
          
नन्दबाबा जी मंदिर, रासबिहारी मन्दिर, नागा जी मन्दिर, नृसिंह मन्दिर, आशेश्वर महादेव मन्दिर, टेरकदम्ब वन, उद्धव क्यारी, नन्दबैठक, हाऊ-बिलाऊ, चरण पहाङी, वृन्दा देवी मन्दिर, महाप्रभु जी की बैठक, पावन सरोवर, कृष्ण कुण्ड, ललिता कुण्ड, यशोदा कुण्ड, काजर कुण्ड, मधुसूदन कुण्ड, पनिहारी कुण्ड, छाछ कुण्ड, मोती कुण्ड, आशेश्वर कुण्ड, मोर कुण्ड, सूरज कुण्ड, आदि 56 कुण्ड। कोकिलावन, बठैन, चरण पहाडी, रासौली, दधिवन, कोटवन, चमेलीवन, हताना, शैषशायी वन, क्षरखत खरौंट।

              'कोषस्थली कोसी'
         
 गोमती सरोवर, रत्नाकर सरोवर, सत्यनारायण मन्दिर,भगवती देवी मन्दिर, फालैन, पयगांव, खेलनवन शेरगढ, ऐचांदाऊ, अक्षयवट, तपोवन, बिहार वन, चीरघाट, बसई, वच्छवन, सेई, बालहारा, वंसीवट, भांडीर वन, भाण्डीर कूप, मांट गांव, बन्दी आनन्दी।

                    'बलदेव'
          
राधा कृष्ण मन्दिर, यमुना मन्दिर, कृष्ण बलदेव मन्दिर, बिहारी जी मन्दिर, श्री नाथ जी मन्दिर, काली मन्दिर, श्री बलभद्र शक्ति पीठ, महर्षि सौभरी वेद पाठशाला, क्षीर सागर और दाऊजी मन्दिर।

                       'महावन'
          
ब्रह्माण्ड घाट, 84 खम्भा, पूतना खार, यमलार्जुन, उद्धार स्थली, रमणरेती।

                    'गोकुल'
          
नवनीत प्रिया मन्दिर, गोकुलनाथ जी मन्दिर, नन्दभवन, नन्दकिला, ठकुरानी घाट, गुसांई जी व महाप्रभु जी की बैठक, चन्द्रावलि देवी, रावल गांव और मथुरा में आकर यात्रा सम्पूर्ण।

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