आरती प्रीतम प्यारी की,
कि बनवारी नथवारी की।
दुहुँन सर कनक-मुकुट झलकै,
दुहुँन श्रुति कुण्डल भल हलकै,
दुहुँन दृग प्रेम सुधा छलकै,
चसीले बैन, रसीले नैन, गँसीले सैन,
दुहुँन मैनन मनहारी की॥
दुहुँनि दृग चितवनि पर वारि,
दुहुँनि लट-लटकनि-छवि न्यारी,
दुहुँनि भौं-मटकनि अति प्यारी,
रसन मुख पान, हँसन मुस्कान, दसन दमकान,
दुहुँनि बेसर छवि न्यारी की॥
एक उर पीताम्बर फहरै,
एक उर नीलाम्बर लहरै,
दुहुँन उर लर-मोतिन छहरै,
कंकनन खनक, किंकिनिन झनक, नुपूरन भनक,
दुहुँन रुनझुन धुनि प्यारी की॥
एक सिर मोर-मुकुट राजै,
एक सिर चुनरी-छवि छाजै,
दुहुँन सिर तिरछे भल भ्राजै,
संग ब्रज बाल, लाडिली-लाल, बाँह गाल दाल,
घन श्याम मोहन और श्याम घन मोहन मानसिक रूप-लीला चिंतन 32
घनश्याम और श्याम घन राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा..... सावन मास की लुभावनी रात। अभी मध्य रात्रि में पर्याप्त देर है । नि...
-
. 🔷 बिना मृत्यु के पुनर्जन्म 🔷 एक चोर ने राजा के महल में चोरी की। सिपाहियों को पता चला तो उन्होंने उसके पदचिह्नों क...
-
"आज के विचार" *बृज चौरासी यात्रा* *भाग - 27* 🙏🆚🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *(जब कृष्ण ने "रामलीला" देखी...)* *प्रिय ! जय जय सुर ...
-
YouTube subscribe this *The fruit of the company of the saint* Once a very famous thief went to steal someone's bungalow. ...