आज बने सखि नंदकुमार।
वाम भाग वृषभान नंदिनी ललितादिक गावे सिंहद्वार।।
कंचन थार लियेजु कमल कर मुक्ता फल फूलन के हार।
रोरी को सिर तिलक विराजत करत आरती हरस अपार।।
यह जोरी अविचल श्रीवृन्दावन असीस देत सकल व्रजनार।
घनश्याम और श्याम घन राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा..... सावन मास की लुभावनी रात। अभी मध्य रात्रि में पर्याप्त देर है । नि...