Tuesday, April 12, 2022

बुझी मोमबत्ती कथा मार्मिक

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*(((बुझी मोमबत्ती* )))

एक पिता अपनी चार वर्षीय बेटी मिनी से बहुत प्रेम करता था। ऑफिस से लौटते वक़्त वह रोज़ उसके लिए तरह-तरह के खिलौने और खाने-पीने की चीजें लाता था। बेटी भी अपने पिता से बहुत लगाव रखती थी और हमेशा अपनी तोतली आवाज़ में पापा-पापा कह कर पुकारा करती थी।

दिन अच्छे बीत रहे थे की अचानक एक दिन मिनी को बहुत तेज बुखार हुआ, सभी घबरा गए , वे दौड़े भागे डॉक्टर के पास गए , पर वहां ले जाते-ले जाते मिनी की मृत्यु हो गयी।

परिवार पे तो मानो पहाड़ ही टूट पड़ा और पिता की हालत तो मृत व्यक्ति के समान हो गयी। मिनी के जाने के हफ़्तों बाद भी वे ना किसी से बोलते ना बात करते…बस रोते ही रहते। यहाँ तक की उन्होंने ऑफिस जाना भी छोड़ दिया और घर से निकलना भी बंद कर दिया।

आस-पड़ोस के लोगों और नाते-रिश्तेदारों ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की पर वे किसी की ना सुनते , उनके मुख से बस एक ही शब्द निकलता … मिनी !

एक दिन ऐसे ही मिनी के बारे में सोचते-सोचते उनकी आँख लग गयी और उन्हें एक स्वप्न आया।

उन्होंने देखा कि स्वर्ग में सैकड़ों बच्चियां परी बन कर घूम रही हैं, सभी सफ़ेद पोशाकें पहने हुए हैं और हाथ में मोमबत्ती ले कर चल रही हैं। तभी उन्हें मिनी भी दिखाई दी।

उसे देखते ही पिता बोले , ” मिनी , मेरी प्यारी बच्ची , सभी परियों की मोमबत्तियां जल रही हैं, पर तुम्हारी बुझी क्यों हैं , तुम इसे जला क्यों नहीं लेती ?”

मिनी बोली, ” पापा, मैं तो बार-बार मोमबत्ती जलाती हूँ , पर आप इतना रोते हो कि आपके आंसुओं से मेरी मोमबत्ती बुझ जाती है….”

ये सुनते ही पिता की नींद टूट गयी। उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया , वे समझ गए की उनके इस तरह दुखी रहने से उनकी बेटी भी खुश नहीं रह सकती , और वह पुनः सामान्य जीवन की तरफ बढ़ने लगे।

मित्रों, किसी करीबी के जाने का ग़म शब्दों से बयान नहीं किया जा सकता। पर कहीं ना कहीं हमें अपने आप को मजबूत करना होता है और अपनी जिम्मेदारियों को निभाना होता है। और शायद ऐसा करना ही मरने वाले की आत्मा को शांति देता है। *इसमें कोई संदेह नहीं कि जो हमसे प्रेम करते हैं वे हमे खुश ही देखना चाहते हैं , अपने जाने के बाद भी..!!*
   *🙏🏼🙏🏿🙏🏽जय जय श्री राधे*🙏🏻🙏🙏🏾

Saturday, April 2, 2022

प्रेम गीता भाग 3

कृष्ण प्रेमगीता
(भाग ३ )

कृष्ण अपनी राधा की दिव्यता का वर्णन कर रहे है..... अस्तित्व खुद अपना परिचय करा रहे है.... रानियां ध्यान से सुन तो रही है पर कुछ कुछ समझ नही पा रही है.... मनुष्य जन्म लेने पर देवता भी अपना अस्तित्व भूल जाते है .... ये रानियां भी भूल चुकी है.... की परब्रम्ह की पत्नियां बनने का सौभाग्य ऐसे ही थोड़ी मिला है इनको.... पर अब तो ये साधारण पत्नियां ही है.... एक रानी ने बीच में टोकते हुए कहा ," नाथ क्षमा करे पर सरल भाषा में बताने की कृपा करे... ये ब्रह्म और ये आल्हादिनी ये सब नहीं समझ पा रही है... यहां तो आपकी और राधा की बात हो रही है ना...!" 
कृष्ण मुस्कुराए और बोले अच्छा ठीक है.... ब्रह्म कोन है?? ब्रह्म यानी,  मैं कृष्ण हूं... कृष्ण क्या है ?? कृष्ण है प्रेम तत्व .... और प्रेम का स्वरूप है राधा....
इसका सरल भाव यही है की ब्रह्म कृष्ण रूपी शरीर है तो इस शरीर को चलाने वाली आत्मा प्राण शक्ति है राधा.... और सिर्फ कृष्ण को ही नही हर प्राणी मात्र मेरा ही अंश है और उनमें जो प्रेम का भाव है तो उनमें भी है राधा....

जो कृष्ण से प्रेम करे उस हृदय में है राधा .... राधा के अस्तित्व के बिना प्रेम नही और जहा प्रेम ना हो वहा कृष्ण केसे मिले.... मेरे सारे भक्त , प्रेमी, मेरे परिकर जो मुझसे अनंत प्रेम करते है ये श्री राधा की ही कृपा है.... राधा के बिना कृष्ण से प्रेम संभव ही नहीं.... 
कृष्ण को पाने का सरल मार्ग है श्री राधा... जिनके हृदय में राधा हो उनको मैं हृदय में स्थान देता हूं.... 
राधा कृष्ण की पहचान है... राधा से ही कृष्ण का अस्तित्व है... राधा ने ही कृष्ण के हृदय में प्रेम तत्व की ज्योती जलाकर कृष्ण को कृष्ण से मिलाया है.... द्वारिकाधीशने अपनी आंखे बंद कर ली अश्रु बहने लगे थे बंद आंखों से... आत्माराम अपनी आत्ममे कुछ क्षण लीन हो गए थे.... सारी रानियां उनकी और देख रही थी मानो उनकी भी आज समाधि लग गई थी... रूक्मिणी के भी अश्रु बह चले थे...भाव से भर गई थी...

(शेष भाग कल)

 ✍️श्रीजी मंजरीदास  )

सखि नामावली