Wednesday, February 23, 2022

The Prayer and Armor of Lord Balarama

The Prayer and Armor of Lord Balarama

Verse 1

duryodhana uvaca
gopibhyam kavacam dattam
gargacaryena dhimata
sarva-raksha-karam divyam
dehi mahyam maha-mune

Duryodhana said: “O great sage, please give me the transcendental
Balarama-kavacha, which was given to the gopis by the wise Garga Muni, and
which gives all protection.”

Verse 2

shri-pradvipaka uvaca
snatva jale kshauma-dharah kushasanah
pavitra-paniù krita-mantra-marjanah
smritvatha natva balam acyutagrajam
sandharayed dharma-samahito bhavet

Shri Pradvipaka Muni said: “After bathing and dressing in clean cotton garments, a
person should sit on a mat made out of kusha , purify his hands with mantras, bow
down, and focus on the meditation of Krshna’s elder brother, Lord Balarama.”

Verse 3

goloka-dhamadhipatih pareshvarah
pareshu mam patu pavitra-kirtanahbhu
mandalam sarshapavad vilakshyate
yan-murdhni mam patu sa bhumi-mandale

May Lord Balarama, who is the master of Goloka, who is the supreme controller of
all controllers, and whose fame is spotless, protect me! May Lord Balarama, who
on His head holds the earth as if it were a single mustard seed, protect me in this
world!

Verse 4

senasu mam rakshatu sira-panir
yuddhe sada rakshatu mam hali cha
durgeshu chavyan musali sada mam
vaneshu sankarshana adi-devah

May Lord Balarama protect me when I am in the battlefield! May Lord Balarama,
who holds a plough always protect me from opponents’ armies! May Lord
Balarama, who holds a club, protect me in many fortresses! May Lord Balarama,
the Supreme Lord protect me in the forest!

Verse 5

kalindaja-vega-haro jaleshu
nilambaro rakshatu mam sadagnau
vayau cha ramo ‘vatu khe balash cha
maharnave ‘nanta-vapuh sada mam

May Lord Balarama, who wears blue garments and who stopped the Yamuna,
always protect me from the fires! May Lord Balarama protect me in the wind! May
Lord Balarama protect me in the sky! May Lord Balarama, who is Lord Ananta
Himself, protect me from the waters!

Verse 6

shri-vasudevo ‘vatu parvateshu
sahasra-shirsha cha maha-vivade
rogeshu mam rakshatu rauhineyo
mam kama-palo ‘vatu va vipatsu

May Lord Balarama, who is Vasudeva’s son, protect me on the mountains! May
Lord Balarama, who has a thousand heads, protect me in great disputes! May Lord
Balarama, who is Rohini’s son, protect me from diseases! May Lord Balarama,
who fulfills all desires, protect me from catastrophes!

Verse 7

kamat sada rakshatu dhenukarih
krodhat sada mam dvivida-prahari
lobhat sada rakshatu balvalarir
mohat sada mam kila magadharih

May Lord Balarama, who is the enemy of Dhenukasura, always protect me from
lust! May Lord Balarama, who killed Dvivida, always protect me from anger! May
Lord Balarama, who is the enemy of Balvala, always protect me from greed! May
Lord Balarama, who is the enemy of Jarasandha, always protect me from illusion!

Verse 8

pratah sada rakshatu vrishni-dhuryah
prahne sada mam mathura-purendrah
madhyandine gopa-sakhah prapatu
svarat parahne ‘vatu mam sadaiva

May Lord Balarama, who is the best of the Vrishnis, always protect me at sunrise!
May Lord Balarama, who is the king of Mathura protect me in the morning! May
Lord Balarama, who is the friend of the gopas, always protect me at midday! May
Lord Balarama, who is supremely independent, always protect me in the afternoon!

Verse 9

sayam phanindro ‘vatu mam sadaiva
parat paro rakshatu mam pradoshe
purne nishithe cha duranta-viryah
pratyusha-kale ‘vatu mam sadaiva

May Lord Balarama, who is the king of serpents, always protect me at sunset! May
Lord Balarama, who is greater than the greatest, always protect me in the evening!
May Lord Balarama, whose power is invincible, always protect me in the middle of
the night! May Lord Balarama always protect me at sunrise!

Verse 10

vidikshu mam rakshatu revati-patir
dikshu pralambarir adho yadudvahah
urdhvam sada mam balabhadra arat
tatha samantad baladeva eva hi

May Lord Balarama, who is the master of Revati, and who is the enemy of
Pralamba protect me from all directions! May Lord Balarama, who is the best of the
Yadavas, protect me from below! May Lord Balarama always protect me from
above! May Lord Balarama protect me from near and from far! May Lord Balarama
protect me everywhere!

Verse 11

antah sadavyat purushottamo bahir
nagendra-lilo ‘vatu mam maha-balah
sadantaratma cha vasan harih svayam
prapatu purnah parameshvaro mahan

May Lord Balarama, who is the Supreme Personality of Godhead, always protect
me from within! May powerful Lord Balarama, who enjoys pastimes as the king of
serpents, protect me from outside! May Lord Balarama, who is the Supreme Lord,
the Supersoul residing in everyone’s heart, always protect me!

Verse 12

devasuranam bhaya-nashanam cha
hutashanam papa-chayendhananam
vinashanam vighna-ghatasya viddhi
siddhasanam varma-varam balasya

Please know that this kavacha of Lord Balarama is the best of armors. It destroys
the fears of the demigods and demons. It is a blazing fire that burns up the fuel of a
host of sins. It is the death of a host of obstacles. It is the abode of spiritual
perfection.

Thursday, February 17, 2022

चार पत्नी कथा story of 4 wife

#जय_श्री_कृष्णा 
          
                         !!  #चार_पत्नियां  !!
                   ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

एक समय की बात है, एक राजा था। उसकी चार पत्नियां थीं, जो एक से बढ़कर एक सुन्दर एवं गुणों से युक्त थीं। राजा उन चारों से अनुराग रखता था परंतु उसे चौथी पत्नी सर्वाधिक प्रिय थी फिर तीसरी, दूसरी और पहली। पहली पत्नी उनमें सर्वाधिक वयस्क थी। 

एक दिन राजा वन में आखेट के लिए गया। वहाँ उसे एक अज्ञात कीट ने काट लिया और वह एक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित हो गया। वैद्य एवं तांत्रिकों ने अपनी सारी विद्या का प्रयोग किया परंतु उसकी अवस्था को सुधार नहीं पाए। अंतत: उन्होंने यह कहा कि राजा की मृत्यु निकट है और अब वह कुछ ही दिनों के अतिथि हैं। 

राजा ने अपनी संपत्ति को रानियों में विभाजित करने का निर्णय किया, क्योंकि उसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। परंतु सामान्य रूप से विभाजन करने की जगह कौन-सी रानी उसे कितना प्रेम करती है इस आधार पर संपत्ति को बांटने का निर्णय किया। उसने एक चतुर योजना बनाई और सभी रानियों को एक-एक कर के बुलाया।
 
उसने कहा- “मेरे जीवन के केवल तीन दिन शेष हैं" मैं तुम्हें एक रहस्य बताता हूँ। बहुत पहले मुझे एक साधू ने एक शक्तिशाली यंत्र दिया था जिससे मुझे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। यदि मैं साथ में एक और व्यक्ति को ले जाऊं। परंतु इससे पहले की स्वर्ग में प्रवेश करें हमे दारुण यंत्रणा सहन करनी होगी और नर्क में सात वर्ष व्यतीत करने होंगे। क्योंकि हम एक दूसरों से सर्वाधिक प्रेम करते हैं इसलिए मैंने यह निश्चय किया है कि मैं तुम्हें अपने साथ आने का यह अवसर प्रदान करूँगा।” 

उसने चौथी रानी से आरम्भ किया जो सब से छोटी थी और जिससे वह सबसे अधिक प्रेम करता था। उन्होंने उससे पूछा, “क्या तुम मरने के बाद, मेरे साथ चलोगी ? रानी को राजा की आसन्न मृत्यु पर पूर्ण विश्वास था, और उसने भावना रहित स्वर में कहा “इसमें संदेह नहीं कि मैं आपसे प्रेम करती हूं परंतु प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मृत्यु का स्वयं ही सामना करना होता है। "मैं यहां ही रानी के रूप में रहना पसंद करूंगी। मुझे तो प्रेम एवं सत्कार की आदत है।” मतलब चौथी पत्नी ने साफ़ मना कर दिया और चली गई। 

राजा को अपनी तीसरी पत्नी भी बहुत प्यारी थी और उसपर उन्हें गर्व था। उन्होंने उसे बुलाया और साथ में मरने का पूछा। तीसरी पत्नी बोली, “मैं आपको यह सिद्ध करूँगी कि मैंने आपसे सबसे अधिक प्रेम किया है। पर मै आपके साथ नहीं चल सकती, मुझे अपनी ज़िन्दगी बहुत प्यारी है। 

राजा की दूसरी पत्नी, हर मुश्किल समय में उनका साथ देती आ रही थी। राजा ने उससे भी साथ चलने का पूछा। दूसरी पत्नी ने कहा, “माफ़ कीजिये महाराज" ! मैं इसमें आपकी कोई मदद नहीं कर सकती। मैं आपका अंतिम संस्कार ज़रूर करवा सकती हूँ और मैं उस वक़्त तक आपके साथ रहूंगी। 

तभी एक आवाज़ आती है, “मैं आपके साथ चलूंगी और जहाँ भी जाएंगे वहां जाऊँगी। भले ही वो मौत के बाद का सफर हो।” राजा ने देखा, ये उनकी पहली पत्नी की आवाज़ थी। राजा अब शांति अनुभव करता है कि कोई तो है जो उसे बिना किसी अपेक्षा के प्रेम करता है। पर उन्होंने उस पर सबसे कम ध्यान दिया था।  

राजा को बहुत शर्मिंदा महसूस हुआ। उन्होंने कहा, “जब तक मैं जीवित था, तुम्हारा ध्यान रखना  

 इस कहानी का भावार्थ हमें क्या सिखाती है?? वास्तव में यह कथा आपकी, हमारी और प्रत्येक मनुष्य की है।

हर व्यक्ति की चार निम्नलिखित पत्नियां होती हैं– 

चौथी पत्नी है, हमारा (शरीर) हम इसे खूब सजाते हैं, गहने पहनाते हैं, अच्छे कपडे पहनाते हैं पर आखिर में ये हमारा साथ छोड़ देती है। 

हमारी तीसरी पत्नी होती है (धन- संपत्ति) हम जीवन का बहुत सारा समय, घर को साजो सामान से भरने में लगा देते हैं। वो भी हमारे साथ नहीं चल सकती। 

दूसरी पत्नी है हमारा (परिवार और दोस्त) वो हमारा हर सुख दुःख में साथ देते हैं, लेकिन ज़्यादा से ज़्यादा, वो हमारे आखरी समय में हमें अलविदा कहने आ सकते हैं। पर साथ में नहीं चल सकते। 

पहली पत्नी होती है हमारा (चरित्र व संस्कार) जिस पर हम ज़्यादा ध्यान नहीं देते। पर ये ही वो पत्नी है जो मरने के बाद भी हमारा साथ नहीं छोड़ती, सदा साथ जुड़ी रहती है।

हममें से अधिकतर लोग इस प्रसंग के राजा की तरह ही जीवन जीते हैं। ऊपर लिखे क्रमानुसार ही अपनी पत्नियों से प्रेम करते हैं। हालांकि यह जीवन का आधार भी हैं और आवश्यक भी है कि साजो सामान के साथ आरामदायक जीवन जियें। परिवार और दोस्तों को, प्यार से संजो कर रखें। अपने शरीर का ध्यान रखें, इसे स्वस्थ रखें।

#शिक्षा:-
सबसे महत्वपूर्ण है संस्कार जो हमारे साथ जाएंगे, उच्च संस्कारित बनें..!!
                 🙏🙏🙏#जय_जय_श्री_राधे🙏🙏🙏

बृज रस मदिरा रसोपासन 1

आज  के  विचार 1 https://www.youtube.com/@brajrasmadira ( चलहुँ चलहुँ  चलिये निज देश....) !! रसोपासना - भाग 1 !!  ***************************...