सुख दुःख क्या है...
आज जहां जाओ तो सुख-दुख की चर्चा रहती है।
क्यों की वास्तव में जीवन को चलाने मे सुख-दुख का बहुत बड़ा साथ रहता है।
इसलिए आज हम सुख दुख के विषय मे कुछ चर्चा करते हैं।
एक बात तो सब को माननी पड़ेगी की सुख-दुख का तो जीवन के साथ बहुत पुराना रिश्ता रहा है।
जहा हम सुख की चाहना करते है
वही, दुख बिन बुलाए मेहमान की तरह हमारे घर-परिवार, हमारे जीवन मे प्रवेश करता है।
हमारा जीवन तराजू के दो पलड़ो की तरह है, एक पलड़ा भारी तो दूसरा खाली, और दूसरा पलड़ा भारी तो पहला खाली.
अर्थात दोनों एक समय मे बराबर नहीं रहते...
ठीक इसी तरह जीवन भी इनहि दो तराजू के पलड़ो की भांति उपर नीचे होते रहता है।
कभी दुख का पलड़ा भरी तो कभी सुख का पलड़ा भरी।
लोग कभी कहते हैं भगवान ने सुख बनाया ठीक लेकिन ये दुख नहीं बनना चाहिए था।
सवाल तो ठीक था लेकिन सोच मे फर्क।
आप स्वयम विचार करो यदि आप के जीवन मे केवल सुख-ही-सुख हैं लेकिन कोई दूसरा दुखी है क्या आप उसके दुख को महसूस कर सकते हो... ? नहीं ना.
“जा के उर उपजी नहीं भाई सो क्या जाने पीर पराई”।
जिसके उपर कभी आप बीती ना हुई हो वो जग बीती क्या जाने।
इसलिए जीवन के संतुलन को कायम रखने के लिए सुख-दुख का होना बहुत जरूरी है।
भगवान के नियम बहुत अच्छे हैं।
उनके नियमो को बाहर के मन से नहीं बल्कि अंदर की आत्मा से विचारो.!
अगर 12 महीने वर्षा ही होती रहे क्या जीवन जी सकते हैं।
उसी तरह जीवन मे सुख ही रहे तो क्या दूसरे के दुख को महसूस कर सकते हैं।
जैसे रात है वैसे ही दिन भी होता है...
ठीक ऐसे ही दुख है तो सुख भी होता है।
इसलिए जीवन की गाड़ी को चलाने के लिए सुख और दुख बनाए गए हैं।
दुख रुलाने के लिए नहीं दुख तो किसी के दर्द को समझने के लिए होता है।
अगर वो दुखी है तो एक दिन हमको भी दुखी होना पड़ेगा...
इसलिए दूसरों के दुख मे साथ दो।
दुख दूसरों के साथ हमको जोड़ता है।
दुख हमे दूसरों के दिल का दर्द बताता है।
इसलिए दुख को दुख के नजरिए से नहीं बल्कि दुख को परमात्मा के नजरीए से देखने की कोशिस करो ...
अगर भगवान ने दुख बनया तो इसके पीछे क्या कारण है... तब आपको ये समझ मे आयेगा की दुख से ही संसार चलता है।
दुख ही है जो हमे दूसरों के लिए जीना सीखता है।
इसलिए प्यारे! सुख-दुख सदा के लिए नहीं रहते आज सुख है तो कल दुख है।
जैसे आज दिन हुआ तो रात जरूर होगी, और अगर रात हुई तो दिन जरूर होगा॥
बस ऐसे ही सुख दुख भी है।
बस इसीलिए अपने आप को सुख- दुख का मित्र बनालो ताकि आप को सुख-दुख से होसला मिलता रहे...
और यही विचार करते रहो की-----
सुख दुख ही हमारी जीवन गाड़ी को चालते हैं।
सुख-दुख ही हम सब को इंसान बनाते हैं,
संसार की नदियों के दो ही किनारे हैं,
सुख-भी मुझे प्यारे हैं, दुख भी मुहे प्यारे हैं,
इन्हे कैसे छोड़ दु प्रभु ये दोनों तो तुम्हारे हैं
इसलिए सुख-दुख को भगवान का आशीर्वाद समझ कर भोगो, सुख आए तो धन्यवाद करो और दुख आए तो उसका चिंतन करो।
ये ही जीवन को जीने का अच्छा तरीका है।
भगवान से अपने दुखों को दूर करने के लिए मत कहो बल्कि भगवान से उन दुखों से लड़ने की ताकत मांगो।
और ये महसूस करते रहो की प्रत्येक दिन एक सा नहीं रहता...
जैसे की एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा –“ बीरबल कोई ऐसा शब्द लिखो की जिसको पड़ने से खुशी भी हो और दुख भी...
तो बीरबल ने लिखा “ये वक़्त गुजर जाएगा” इस को पड़ने के बाद अकबर के चहरे से खुशी मानो हट सी गयी और सोचने लगा आज जो मेरे जीवन मे सुख है
वो कभी भी जा सकता है, पर दूसरे ही पल खुशी हुई की कोई बात नहीं यदि दुख आएगा भी तो उसके पीछे सुख भी जरूर आयेगा।
राधे राधे...
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